आइना मुझको दिखाता है कलम

आइना मुझको दिखाता है कलम
चाह जीने की जगाता है कलम ।
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बात जो मन में दबी थी कह रहा
साथ सच का ही निभाता है कलम
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राज वो हमपर करे मुमकिन नही
बादशाही को डराता है कलम ।
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सोचता हूँ मैं कभी तुम पर लिखूं
आग सीने में लगाता है कलम ।
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झूठ का जो मैं कभी गर साथ दूँ
ख़ाक में मुझको मिलाता है कलम ।
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आपका दिल चाहता वो ही लिखो
दाद सबको ही दिलाता है कलम ।


तारीख: 16.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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