आज रोशन अँधेरे हुए

आज रोशन अँधेरे हुए
रात में भी सवेरे हुए।

चाँद तारों की औकात क्या
आज तो हम भी तेरे हुए।

गोपियाँ आज सारी खड़ी
तट पे कान्हा को घेरे हुए।

रूठिए यूं न हमसे सनम
बैठिए मुँह न फ़ेरे हुए।

रहजनों का हमें ख़ौफ़ क्या
अब तो रहबर लुटेरे हुए।

नाम जब जब तुम्हारा सुना
ग़म के बादल घनेरे हुए।


तारीख: 20.10.2017                                    अभिषेक कुमार अम्बर









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