आँखों में इश्क़ का समंदर

आँखों में इश्क़ का समंदर है क्या किया जाए
मेरे दिल का तू सिकंदर है क्या किया जाए ।

बसाया देश जिसने अपनी शहादत से
घर उनका ही जरजर है क्या किया जाए ।

जान अपनी बचाने छिपा मैं जिसके पीछे
हाँथ उनके ही खंजर है क्या किया जाए ।

कोशिशें लाख करता रहा हार मुझको मिली
दिल उनका जो पत्थर है क्या किया जाए ।

दब गए निर्दोष सारे भ्र्ष्टाचार रूपी पुल में
बड़ा ही ख़ौफ़नाक मंजर है क्या किया जाए ।

उनका कहना क्यू नही उपजता प्रेम फिर से
दिल अब  हो गया बंजर है क्या किया जाए ।

इस वाट्सऐप औ फेसबुकिया जमाने में
बंद हो गया कबूतर है क्या किया जाए ।
 


तारीख: 15.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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