बेटियों को देखकर यही समझ आता है
वक़्त किस तरह तेजी से गुज़र जाता है
जिन हाथों में गुड्डे-गुड़ियाँ खेला करते थे
न जाने कब कागज़ कलम उतरआता है
हाथ पीले देखकर , दुल्हन बनी देखकर
आँखों को केवल रोना ही नज़र आता है
वो सब छोटे जूते,वो उसकी तुतली बातें
रह रह कर पूरे घर में ही पसर जाता है