छोटी–बड़ी दीवार गिरा दें हम |
आओ, दिलों के फासले मिटा दें हम ||
अभी भी पसरा है तमस बस्तियों में,
अपने हिस्से का एक दीप जला दें हम ||
क्या मिला हमें अब तक दूरियाँ रखकर,
गले लगकर शिकायतें भुला दें हम ||
पथरा गई आँखें सपने जो मर गए,
फिर उन्हें जीने का हौसला दें हम ||
पंख फैलाये हैं अभी–अभी जिसने,
परिंदों को नया आसमां दें हम ||
ज़ख्म देने में माहिर हैं लोग ‘माही’,
मोहब्बत का हुनर और सीखा दें हम ||