दीप को आफ़ताब कर डाला
आपने क्या ज़नाब कर डाला।
अपने लब से गिलास छूकर के
तूने पानी शराब कर डाला।
करके रोशन जहां को सूरज ने
आसमां बेनक़ाब कर डाला।
दर्द जब उसने जानना चाहा
मैंने चहरा किताब कर डाला।
बन के बांदी तुम्हारे चरणों की
मैंने तुमको नवाब कर डाला।
मैंने उस बेवफ़ा के चक्कर में
ज़िन्दगी को ख़राब कर डाला।