हर तरफ क्यूँ धुआं धुआं सा है

आज हर तरफ क्यूँ धुआं धुआं सा है
कुछ पता ही नहीं चलता हुआ क्या है

ये रोशनाई कैसे ख़्वाबों पे पलटी है
आंखों में आज मेरे क्यूँ कुहांसा है

कल सारी रात राह मैंने उसकी ताकी है
कुछ मालूम चलता ही नहीं हुआ क्या है

वो आखिरी नज़्म जल्द लिखी जाएगी
कुछ ख़बर तो मिले वो क्यूँ रुआंसा है

कोई जरा पाक़ लफ़्ज़ों के मायने ढूंढो
हमें भी पता तो चले ये खुदा क्या है


तारीख: 17.06.2017                                    आयुष राय









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है