मुझे इसका अंदाजा भी नहीं था

मुझे   इसका   अंदाजा  भी  नहीं  था ।
वो जो अपना था अपना भी नहीं था ।।

हमारी  तो  ये  दुनिया  भी  नहीं  थी ,
हमारा  तो  फसाना   भी  नहीं  था ।।

वो  भी  मेरी  तरह  करता  मुहब्बत ,
कि  ऐसा  कोई  सौदा  भी नहीं था ।।

बस इक  हम उम्र  ही  तो  हैं  लुटाए ,
मुहब्बत  तुझ में  घाटा  भी नहीं था ।।

तुम अब कुछ भी कहो ये है मुहब्बत ,
जिसे  पाया था , पाया भी नहीं था ।।

तुझे हम इश्क़ में कुछ अब कहें क्या ,
दुखा था दिल दुखाया भी नहीं था ।।

वो  मुझ सा 'देव'  होता भी  तो  कैसे ,
के आखिर मैं तो खुद सा भी नहीं था ।।

 


तारीख: 07.09.2019                                     देव मणि मिश्र









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