सदा ही ख्वाब में आऊ सदा जगाऊ मैं तुमको

1-सदा ही ख्वाब में आऊ सदा जगाऊ मैं तुमको 
   खुले जब आँख लूँ जब नाम पास पाऊ मैं तुमको

2-तेरी जब गोद में रखकर के सर गजल मैं पढता था 
   मेरा अरमान है इक बार फिर सुनाऊ मैं तुमको

3-गये जब से अकेला छोड़ हम तभी से रोते हैं 
   नहीं हसरत मेरी रोऊँ नहीं रुलाऊ मैं तुमको

4-भटकता दर-ब-दर हूँ फिर रहा कहाँ हो बोलो ना
   सहा क्या क्या गवायाँ क्या मिलो गिनाऊ मैं तुमको

5-सहा जाता न अब हमसे विरह भरा मेरा जीवन 
   मेरी बाहें खुली आओ गले लगाऊ मैं तुमको

6-सताओ ना हमें आओ तुम्हें दिखा दूँ मैं दुनिया 
   चलो अब पास आओ गोद में उठाऊ मैं तुमको 


तारीख: 15.06.2017                                    महर्षि त्रिपाठी









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