शिकवे, गिले, मलाल ,कुछ भी नहीं


शिकवे, गिले, मलाल ,कुछ भी नहीं
इससे बुरा तो हाल कुछ भी नहीं ।


वक्त के साथ हालात बदलते ही हैं
तेरा और मेरा कमाल कुछ भी नहीं ।


देख कर आँखें मेरी वो सहम गए
मैने तो किया सवाल कुछ भी नहीं ।


फक्कड़ की कमाई बस है .खुदाई
वो हराम या हलाल कुछ भी नहीं


जां गई गरीब की गुरवत में गुमनाम
हुआ अजय वबाल कुछ भी नहीं ।


तारीख: 16.09.2019                                    अजय प्रसाद









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है