तेरी यादों का तूफाँ इस कदर आया था
हर चेहरे में तेरा चेहरा नज़र आया था ।
सबकी थी निगाहे महफ़िल में उनपर ही
मानो ज़मीं पे खुद चाँद उतर आया था ।
तबज्जो उसने न दी बात अपनी कहता रहा
कि यार उनका पहले से सुधर आया था ।
एक उम्र कट गई उनको ही लिखते हुए
देर से लफ़्ज़ों का असर उनपर आया था ।
होश उड़ गए सबके औ बातें थम गई यारों
यार मेरा जो महफ़िल में सज संवर आया था ।
बनाया उसने ही शायरी को मेरी मुहब्बत
हाथ में उसके जो मेरा मुकद्दर आया था ।
इस्बात माँगा उससे इश्क़ का जब मैंने
उतर आँखों में उसकी समंदर आया था ।
निकला था कभी “रिशु” खुद की तलाश में
राह में रहगुजर दर रहगुजर आया था ।