उठो, मौसम को ज़रा आज़मा कर देखो

उठो, मौसम को ज़रा आज़मा कर देखो,
तुम भी फूलों के पास जा कर देखो ।

बात करते हो लिखने-लिखाने की अगर,
पहले कुछ दर्द को तुम गा कर देखो ।

पैर रखने से पहले सोचो तो ज़रा,
आग लग जाए ना तीली को जला कर देखो ।

सिर्फ तेरे ही घर का ये वाक्या तो नहीं,
तुम ज़रा दूसरों के घर जा कर देखो ।

यूँ ही घबराए लोगों पे क्या हिम्मत दिखाना,
हिम्मती हो तो उनके लिए घबरा कर देखो ।

शुक्र है फिर से सर्दी का मौसम आया,
अब ज़रा देर से घर आ कर देखो ।

इश्क़ तो चीज़ है मिलने-मिलाने की "सहर",
तुम भी इस सिलसिले में आ कर देखो ।


तारीख: 18.06.2017                                    करन सहर"









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