धरती के जिस भी कोने में तुम जाओ
वहाँ कबूतर से कह दो तुम भी आओ
अगर आग से दुनिया फिर से उगती है
जंगल-जंगल आग लगाकर आ जाओ
बादल से पूछो, तुम इतना क्यों बरसे
कह दो, लोगों की आँखों में मत आओ
गूंगे बनकर बैठे थे तुम बरसों से
अब सड़कों पर निकलो, दौड़ो, चिल्लाओ
महल में राजा के कल फिर से दावत है
भूखे-प्यासे लोगो, अब तुम सो जाओ
फसलो, तुमसे बस इतनी-सी विनती है
सेठों के गोदामों में तुम मत जाओ