वक़्त ना गंवाया कर सजने संवरने के लिए

वक़्त ना गंवाया कर सजने संवरने के लिए,
तेरी इक नज़र काफी है मेरा क़त्ल करने के लिए।


तेरे बिन सोचा तो यह लगा,
रोज जी रहा हूँ, इक दिन मरने के लिए।


उस रस्ते में है मेरा कालेज , तेरा घर,
हज़ार बहाने हैं गुजरने के लिए।


बस चल रहा हूँ आसरे की तलाश में,
दिल दोगी ठहरने के लिए?


ये सिंदूर ये माला रकीब को दे दो,
ये तारे काफी हैं तेरा मांग भरने के लिए।


तारीख: 16.07.2017                                    रुद्रप्रताप साहू









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