आईने कभी भी हमें सच नहीं दिखाते

आईने कभी भी हमें सच नहीं दिखाते
जेहन मे क्या है किसी के नहीं बताते ।

संवरते हैं लोग कब, किस मकसद से
चेहरे पे वो कभी उभरकर नहीं आते ।

रौशनी है गुनाहगार हर अक़्स के लिए
वरना अंधेरे हमसे कुछ नहीं छिपाते ।

कर्जदार है चाँद ,सूरज का सदियों से
तारे उधार की नूर से नहीं टिमटिमाते ।

जो है,जितना है उसी में खुश रह अजय
वक्त से पहले ,हक़ से ज्यादा ,नहीं पाते


तारीख: 16.10.2019                                    अजय प्रसाद









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