कल रात मैने एक ख़्वाब देखा है

कल रात मैने एक ख़्वाब देखा है,.
तेरे फूल से चेहरे को साफ साफ देखा है 
:
बैठे हैं हम मेहताब की रोशनी में,.
तेरी आँखों में इश्क बेहिसाब देखा है 
:
मारे थे दरियाँ में छपाके हमने,.
तेरे पैरों के तले गुलाब देखा है 
:
कांधों के सहारे पर सपनों के किस्से थे,.
तेरी जुल्फों में इश्क_ए_ रिवाज देखा है 
:
खत्म नही होते ये मोहब्बत के सफरनामें,.
तेरे हाथों में अपना हाथ देखा है 
:
कुछ गुनगुना रहे थे ये हवाओं के साये,.
तेरे होंठों की सुर्खी में रंग_ए_हयात देखा है 
:
कल रात मैने एक ख़्वाब देखा है,.


तारीख: 22.08.2019                                    देव रावत देव









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