रिसालों के लिए जो है कायदे कानून तु रख अपने पास
नये रचनाकारों को ठुकराने का जूनून तु रख अपने पास।
नही चाहिए मुझे तेरी रहमत ऐ खुदा हद से ज्यादा
बाकी, दे कर मेरे हक़ की दो रोटी-ए-जून तु रख अपने पास ।
मुझे लिखनी है गज़ल तो मै लिखूंगा अपने मिज़ाज से ही
मतला,मकता,रदीफ़ काफिया ,बहरे कानून तु रख अपने पास।
बस इतना बता कि मेरी मुफलिसी महफूज़ है ना मुस्तकबिल मे ?
फिर चाहे जो भी लिखा हो,तेरा ये मज़मून तु रख अपने पास ।
मुझको आने लगा है मज़ा अपनी गुरबत,बेचैनी ओ बदहवासी में
इज्जत,दौलत,मुहब्बत,शोहरत,दिलेसुकून तु रख अपने पास ।