अंतिम सूर्यास्त

उस दिन का सूर्यास्त कोई आम सूर्यास्त नहीं था , वो उससे कहीं बढ़कर था. प्रकृति के लिए भले ही ये एक निरंतर चल रही प्रक्रिया थी जो करोडो सालों से चली आ रही थी पर किसी के लिए ये सूर्यास्त उनके विश्वास, उनके सपनो का आखिरी सूर्यास्त था. 

वो जगह एक पहाड़ी इलाका था जिसके आर-पार एक नदी बहती थी. कुछ मुरझाये से पेड़ गूंगे दर्शको की भांति उस दृश्य को खड़े-खड़े देख रहे थे . चारों ओर ख़ामोशी थी... कब्रिस्तान सा सन्नाटा ... सूरज थोडा और निचे आ चूका था और अँधेरा धीरे-धीरे नील आकाश को निगलता जा रहा था . अब चाँद आकाश में चमकने लगा था . 

Nature

चाँद और सूरज सदियों से इंसानों के कौतहुल का विषय रहे हैं. चमचमाते रहस्मयी अंतरिक्ष में ये मानवता की पहली खोज थे या यूँ कहें की प्रकृति की गोद में आधुनिक बंदरो का पहला हस्तक्षेप! उजली चांदनी बिखेरता हुआ चाँद बदलो के साथ लुका छिपी खेल रहा था पर इस मनोरम दृश्य का कोई दर्शक नहीं था . तो कहाँ गए वो मानव! वो प्राकृतिक सौंदर्य प्रेमी !!

वहां !!! वो देखो वहां !! उस पेड़ के नीचे, घांस पर लेटा एक आदमी दिख रहा है. यह एक अदभुत दृश्य है , मानव का दिखना आज अत्यंत दुर्लभ है . वह घांस पर अधमरा लेटा है और आकाश को निहार रहा है . उसमे अब भी कुछ सांसे बची हैं. उसकी निर्जीव आँखों से आंसू गिर रहे हैं , वो दर्द से कराह रहा है फिर भी एकटक डूबते सूरज को निहार रहा है. शायद वो अपनी सवाली आँखों से अपने दुर्भाग्य का कारण पूछ रहा हो . उसमे जीने की लालसा नहीं बची क्यूंकि शायद अब कोइ नहीं जिसके लिए वो जिए. 

अब उसके कराहने की आवाज बंद हो चुकी थी और वो शिथिल पड़ा असमान को एकटक देख रहा था . शायद उसने अपने जीवन का आखिरी सूर्यास्त देखते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे . उस दिन मानवता को भारी नुकसान हुआ था क्यूंकि उस दिन धरती का आखिरी इंसान जा चूका था ! वो आखिरी सूर्यास्त था जिसका कोई दर्शक था. 

उस दिन से धरती शांत है और अब कोई शोर करने की गुस्ताखी करने वाला नहीं है. कुछ सदियों पहले कुछ आधुनिक बंदरो ने अपने वाहनों से ,कल कारखानों से काफी शोर मचाया था . लोग कहते थे की इन आधुनिक बंदरो के पास बहुत तेज दिमाग था. उन्होंने कितनी ही अनोखी चीजो का अविष्कार किया जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, सौर उर्जा, सॅटॅलाइट इत्यादि. 

पर सच कहें तो ये बन्दर बहुत बड़े मूर्ख थे. इन्होने पूरी धरती को धर्म और जाति के नाम पर विभाजित कर दिया और एक दुसरे को मारने के लिए विज्ञान का गलत इस्तेमाल करने लगे. उन्होंने कई ऐसे अविष्कार किये जो अंततः उनके विनाश का कारण बन गए. मसलन मिसाइल, परमाणु बम, और अनेको रासायनिक हथियार.. 

उस शाम प्रकृति ने एक बार उस आखिरी मनुष्य की ओर देखा और उसकी मूर्खता पर मुस्कुराते हुए अपने अंतहीन जीवन चक्र को फिर से रचने में जुट गयी.


तारीख: 08.06.2017                                    प्रेम









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