छोटू

"चाय-चाय" चिल्लाता हुआ छोटू सुबह-सुबह नुक्कड़ पर घूम रहा था. चारो ओर काफी चहल-पहल थी. सर्दी की गुनगुनी धुप में बच्चे स्कूल बस पकड़ने के लिए चौराहे पर खड़े थे . इतने में स्कूल बस आ गयी और बच्चे बस में बैठने लगे. एक बुजुर्ग बस ड्राईवर को २ मिनट रुकने को कह रहे थे और साथ ही साथ अपने पोते को आवाज दे रहे थे. देर होने के कारण ड्राईवर गुस्से में था. इतने में भागता हुआ उनका पोता आया और बस में बैठा. छोटू ये सब गौर से देख रहा था. 

छोटू का भी स्कूल जाने का मन करता था पर उसे समझ नहीं आता था की वो स्कूल जाये तो जाये कैसे. उसने उन बच्चों के साफ सुथरे कपड़ो को देखा और फिर उसकी नज़र अपने मैले स्वेटर पे पड़ी . वो सोचने लगा की क्या उसका पहनावा उसे उन बच्चों से सच में अलग करता है.... शायद नहीं ... शायद वो भी उनके जैसा ही है.. अगर वो कोशिश करे तो शायद उनके जैसे स्कूल जा सकता है . ये सारी बातें उसके दिमाग में रोज़ घुमती थी . पर आज ये इच्छा उसके दिल में जोरों से हो रही थी. 

छोटू ने आज स्कूल जाने का मन बना लिया, पर उसे नहीं पता था की स्कूल है किधर, उसने सोचा की अगर वो भी स्कूल बस में बैठ जाये तो स्कूल पहुँच सकता है. वो ये सब सोच रहा था की इतने में बस चल पड़ी. छोटू बिना सोचे समझे बस के पीछे भागने लगा, पर बस ने रफ़्तार पकड़ ली थी. छोटू ड्राईवर को बस रोकने के लिए चिल्लाता हुआ बस के पीछे भाग रहा था, पर कुछ ही देर में बस उसकी नज़रों से ओझल हो गयी. वो हांफता हुआ दूर जाती बस को देख रहा था . 

छोटू बस के पीछे भागते हुआ थोडा दूर आ गया था उसने सोचा की अब लौट के फ़ायदा नहीं है आज वो खुद ही स्कूल खोज के रहेगा. वो बहुत देर तक इधर उधर स्कूल की तलाश में भटकता रहा. अचानक जो उसने देखा उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ.एक बड़े से लोहे के गेट के पीछे एक कम्पाउंड में बहुत से बच्चे आंखे बंद किये पंक्तियों में खड़े कुछ गा रहे थे. उनके कपड़ो को देख के छोटू को तुरंत समझ में आ गया की यही स्कूल है . वो भागते हुए स्कूल के गेट पर पहुंचा पर गेट पर खड़े चोकीदार ने छोटू को ऐसी फटकार लगायी की बेचारे का दिल धक् से रुक गया. वो रुआंसा हो कुछ दूर पे खड़ा स्कूल को देख रहा था . पर स्कूल जाने की उसकी चाह ने उसे हिम्मत दी और वो स्कूल के अन्दर जाने का तरीका सोचने लगा . 

स्कूल के चारो ओर घुमने के दौरान उसे एक ऐसा कोना दिखा जिधर से दीवार थोड़ी कम ऊँची थी और दीवार से सटे एक पेड़ पे चढ़कर स्कूल के अन्दर जाया जा सकता था. स्कूल जाने की उसकी ललक में वो पल भर में दीवार फांद के स्कूल के अन्दर था . अन्दर उसे सब कुछ सपनो जैसा लग रहा था . उसकी ख़ुशी का ठिकाना न था. पास में एक क्लास चल रही थी , वो क्लास की खिड़की के पास जा के खड़ा हो गया. खिड़की से झाँकने पर उसे अपनी उम्र के कई बच्चे दिखे जो हंस-बोल रहे थे, और बोर्ड पर पढ़ा रही मैडम के सवालों के जवाब दे रहे थे. यह सब देख कर छोटू के पूरे शरीर में गुदगुदी सी होने लगी . 

खिड़की के पास बैठी एक लड़की जब अपने बैग से पेंसिल निकालने को मुड़ी तो उसकी नज़र क्लास में झांकते हुए छोटू पर पड़ी, और घबराहट में उसके मूंह से चीख निकल गयी . उसे देख कर बाकि बच्चे भी चिल्ला पड़े. छोटू डर के मारे खिड़की के नीचे छुप गया. उसका दिल घबराने लगा. बच्चे शोर करके मैडम को बता रहे थे की उन्होंने खिड़की पर एक चेहरा देखा. छोटू को क्लास से बाहर आते किसी के कदमो की आवाज सुनाई दी. 

उसके चारो तरफ लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी. वो सभी उसे घूर रहे थे, जिससे छोटू और घबरा गया और घबराहट में उठ खड़ा हुआ. उसका सर खिड़की पे जोर से लगा और उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया. सभी लोग शोर कर रहे थे की ये कौन घुस आया स्कूल में. इतने में चौकीदार आया , उसने छोटू को पहचान लिया और वो चिल्लाया, "ये लड़का चोर है , इसने पक्का कुछ चुराया होगा".

छोटू को लगा की अब उसकी पिटाई पक्की है. वह पूरी ताकत से उठा और भीड़ को चीरता हुआ दीवार फांद के बाहर भाग गया. उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे और उसे कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. पर एक बात उसके दिमाग में साफ़ थी की अब वो कभी पढने स्कूल नहीं जाएगा.


तारीख: 10.06.2017                                    प्रेम









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