डायन

पहले तो प्यार से लोग "भौजी" कहते थे उन्हें ,पर पता नही क्यों "डायन बुलाने लगे?"यशोदा,नाम था भौजी का।उनके पति लखेदन मिसिर सेना मे थे।एकदम लम्बे-चौड़े कदकाठी के,बड़ी बड़ी रौबदार मूंछे,ऊपर की ओर उठीं हुई,मानो जैसे भाले की नोंक हो।आवाज़ शेर सी थी,दहाड़ने वाली।कुल मिलाके एकदम मर्द आदमी थे।घर मे उनके दो भाई भी थे।दोनो भाई बहुत छोटे थे,जब मिसिर जी के माई बाबूजी का देहांत हो गया था।मिसिर जी का जब बियाह "भौजी" से हुआ ,तो सबसे पहले मिसिर जी ने उनसे कहा, हमारे पहले से ही दो बच्चे है,आगे कोई और न होगा,अपने भाईयों को दिखाते हुए कहा।भौजी, भी उनकी बात समझ गयी थी। 

एकदम अपनेपन से पाला था,उनको भौजी ने।जब सब बियाह करने लायक हो गए ,तो बहुत ही धूम धाम से बियाह किया था,पूरा गांव देखता रह गया था।पटना का नाच आया था,मतलब बहुत खर्चा किया था,मिसिर जी ने।घर मे नई नई बहुएं आई थी।शुरू शुरू मे सबने भौजी की खूब सेवा की।उनके बच्चे भी हुए,बहुत चंचल बच्चे थे उनकी बहुओं के, एकबारगी भौजी को परिवार सम्पूर्ण होने का अहसास होने लगा।फिर समय बदला,सीमा पर जंग छिड़ गया, और दुर्भाग्यवश मिसिर जी उसी युद्ध मे शहीद हो गए।भाग्य ने अजब खेल खेलना शुरू कर दिया। मिसिर जी के देहांत के बाद "भौजी" थोड़ी अकेली पड़ गयी थी। उन्होंने अपना ध्यान पूजा पाठ की ओर लगा दिया।अब तो बहुएं भी बदलने लगी थी,भौजी अब अच्छी नही लगती थी उन्हें।अब घर मे बात बात पर भौजी को ताने दिया जाने लगा।भौजी,तनाव को दूर करने के लिए पूजा पाठ मे ज्यादा ध्यान देने लगी।सुबह तीन बजे उठ कर,स्नान करके,फुलवारी में से फूल तोड़ने जाती थी।फिर 1 घण्टे तक पूजा करती थी।घर मे अक्सर अगल बगल की औरते सब आया करती थी,बहुओं से गपशप करने। 

Hindi Kahaani

हर दिन अलग अलग किस्म की बातें होती,कभी उनकी बुराई,कभी इनकी..,एक दिन चर्चा उठा,भूत प्रेत ,जादू टोना का।उन्ही गपशप के दौर में एक औरत ने एक बात बताया-जानती हो!रमेसरा बो की एक जेठानी है न,अरे उहे जउन डायन है,अरे रमेसरा बो के लइका पर टोना कर दी,और उसको टीबी हो गया।बहुत बड़की डायन है,अपना मरद को तो खा ही गयी,और ऊपर से बहुत बड़ पुजारिन बनती है। इतनी बातों को सुनने के बाद उनकी बहुओं को ध्यान आया कि-भौजी भी तो खूब पूजा करती है,कहीं उ भी..? 

इस तरह के पूर्वाग्रह के साथ दिन काटे जाने लगे,समय बदलने के साथ ही घर का समय भी बदल गया।छोटी बहु के बच्चे को पीलिया हो गया था,बहुत कोशिश के बाद उसको बचाया जा सका।भौजी दिन रात अपने भगवान से मुन्ना के ठीक प्रार्थना करते हुए गुज़ार रही थी।तभी बहुओं को "डायन" वाली बात याद आई..,कि कैसे रमेसरा बो की जेठानी ने..? कहीं भौजी भी ,उनका भी तो मरद नही है..,इसका मतलब भौजी डायन है। आने दो आज हमारे मरदों को,सारी बात बतलातें हैं,शाम को घर पर मरदों के आने के बाद,उनके कान फूंके गए,और उन्होंने यकीन भी कर लिया,उस भौजी के बारे में जिसने उनको पालने के लिए अपनी खुद की औलाद नही पैदा किया। 

भौजी को घर से अलग कर दिया गया,आँखों में आंसू लिए हुए भौजी अलग भी हो गयी।गांव मे हल्ला हो गया,"भौजी" डायन है।सब कोई उनसे घृणा करने लगा।भौजी जैसे तैसे अपना दिन काटने लगीं। समय फिर बदला, और उनकी बहुओं का घर भी,उनके पतियों की नौकरी चली गयी,सब बीमार रहने लगे,घर की हालत खस्ता हो गयी थी।इन सबका दोष भौजी पर दिया गया ,उन्हें लगता था कि इन सबका कारण भौजी का टोना है।भौजी को खूब लताड़ा गया, गरियाया गया,पर भौजी ने सब कुछ सहा,एक शब्द ना बोला। अचानक बड़ी बहु के पति को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें अस्पताल ले जाया गया,डॉक्टर ने सर्जरी करने को कहा। खर्चा पूरे 4 लाख का था। 

लेकिन ये लोग पहले से ही कर्जे मे थे,कहाँ से लाये 4 लाख।सारे रास्ते बंद नज़र आ रहे थे। दिल के दौरे की बात सुनकर,भौजी भी चुपके से अस्पताल मे आई थी, और जब उन्हें 4 लाख रुपये की बात का पता चला,तो वो भी चिंतित हो गयी,पर सहसा उन्हें कुछ ध्यान आया,वो भागी भागी घर पे गयी,और अपने बक्से मे से एक पोटली को निकाला।पोटली मे खूब सारे गहने थे,जो मिसिर जी ने बड़े ही प्रेम से बनवाया था,ये गहने उन्ही के प्रेम की तो निशानी थे.,जी भर कर उनको देखने के बाद भौजी ने बिना कुछ सोचे उस प्रेम की निशानी को साहूकार को बेच आया था,पूरे 4 लाख मिले थे,उन गहनों को। भौजी ने जल्दी से अस्पताल की ओर कदम बढ़ाया..देखा कि डॉक्टर उनको बता रहा था,कि बिना पैसो के इलाज नही होगा।वो लोग गिड़गिड़ाते रह गए।सबसे नज़र बचाकर भौजी डॉक्टर से मिलने गयी,और जब उनको इलाज के लिए पैसे देने लगी,डॉक्टर ने कहा कि-आप कौन है? 

भौजी ने आंखो में आंसू भरकर बस इतना कहा- एक बेबस माँ,जिसे बदलते वक़्त ने डायन बना दिया।आप पैसो की बात किसी को मत बताइयेगा ,आप बस उसका इलाज कर दीजिये।डॉक्टर कुछ समझ नही पा रहा था,उसमे हामी भर दी,इलाज सफल रहा।जब डॉक्टर से पैसो की बात पुछी गयी तो-तो डॉक्टर ने बस इतना कहा- एक ऐसा पाक रुह जो वक़्त के खेल से टूटी हुई थी,पर उसने आप लोगों को नही टूटने दिया। 

भौजी आज भी अलग रहती है,सारा गांव उन्हें डायन कहता है,आज भी ताने देता है कि अपना मरद को खा गयी, पर अब तो आदत बन गयी है। 


तारीख: 08.06.2017                                    आशीष चतुर्वेदी 









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