पिछले 6 सालों में एक आदत सी पड़ गयी थी मुझे या यूँ कहूँ कि एक बुरी आदत। क्योंकि पिछले 6 सालों में मेरे जन्मदिन पर उससे पहले कोई और विश (शुभकामनाएं) नहीं कर सका। लेकिन इस बार उम्मीद नहीं थी कि उसका वो जज्बा कायम रहेगा, शादी जो हो चुकी थी उसकी।
“सब कुछ कितनी जल्दी बदल जाता है न... आदत भी एक दिन में छूट जाती है... इंसान भी सात फेरो के बाद पराया हो जाता है....” जन्मदिन की एक रात पहले उसे और उसकी बातों को याद करते–करते तकरीबन 10 बजे मेरी आँख लग गयी।
सहसा मैं हड़बड़ा कर उठा... रात के सन्नाटे में मेरी साँसे मुझे बिलकुल साफ़ सुनाई दे रही थी... मेरे दोनों हाथों की उंगलियाँ मेरे सर को पकड़े हुए मेरे बालों में थी। इस बार रात को किसी का भी फ़ोन या मेसेज 12 बजे नहीं आया था। मोबाइल की घड़ी में रात के 12.15 हो चुके थे।
लेकिन वो आई थी मेरी वो आदत कायम रखने... मेरे प्यार की लौ जिंदा रखने... मेरी आँखों में आंसू थे... वो चली आई थी एक बार फिर मेरे सपने में... सबसे पहले आज भी उसी ने विश किया...