रोड के किनारे खड़े थे हम. ट्रैफिक था जो रुक ही नहीं रहा था । खैर मुझे कोई खास शिकायत भी नहीं थी । वो मेरे बगल में खड़ी जो थी ।
अब तक बस उससे ऑफिस में कॉफ़ी के लिए मिला करता था । उसे कभी बता नहीं पाया कि धीरे धीरे कॉफ़ी पीना कितना अच्छा लगने लगा था मुझे । उस दिन पहली बार ऑफिस के बाहर बस हम दोनों अकेले मिलने वाले थे । रोड के एक तरफ मरीना बीच, दूसरी ओर हम दोनों और बीच में कभी न थमती ट्रैफिक ।
“अरे यहीं खड़े रहोगे ? चलो रोड क्रॉस करो"- उसने कहा
“पागल हो ! बीच ट्रैफिक में घुस जाऊं ? कोई गाडी वाला उड़ा के चल देगा"
“तुम डरपोक ही रहोगे" उसने मेरा हाथ पकड़ा और सड़क पार करने लगी । मैं भी बस बिना सोचे समझे, उसके भरोसे बीच ट्रैफिक में घुस गया”
फिर तो ये हर वीकेंड की बात हो गयी । उसके साथ जाना, उसका मेरा हाथ पकड़ के रोड क्रॉस करना और फिर घंटों बीच पर बैठकर फिज़ूल की बातें करना ।
4 साल से कुछ अधिक हो गए हैं । कंपनी ने काम से चेन्नई भेजा है । कल सवेरे वापस निकलना है सो काम जल्दी निपटा के फिर से कुछ देर मरीना बीच पर कुछ पुरानी यादें ढूंढने आ गया । वो नहीं है, लेकिन कुछ जाना पहचाना सा मंज़र है । सोचता हूँ कि काश उसे बता पाता कि उसका हाथ पकड़ सड़क पार करने के दौरान बीते कुछ पल कई सालों तक उसकी यादों को मुझसे बांधे रखेंगे । इस सड़क को पार करते हुए फिर से दिल सिहर उठा है ।