अजनबी

क्यों कोई रखता है हाथ मेरे दिल के तारों पे,
क्यों कोई दस्तक देता है मेरे मन के द्वारो पे

कह दो उससे रहना है तन्हा दुनिया के गलियारों में
क्यों कोई ज्योति रखता है बुझे हुए अंधियारों में

रखा हाथ है दिल पर दिल की मधुर म्रदंग बजाने को
दस्तक दी है खोलो खिड़की सूरज भीतर आने दो

कैसे छोडू तन्हा तुझको दुनिया के वीरानो में
चेहरा तेरा मधुर सलोना लगता है मुस्कानों में


तारीख: 10.06.2017                                    खुशबू जैन









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