क्यूँ तलाशती हैं ये नज़रे सिर्फ तुम्हे,
क्यूँ मन तुम्ही में रमता है|
क्यूँ मैं सिर्फ तेरा ही साथ चाहता हूँ,
तेरे दूर जाते ही मैं क्यूँ छटपटाता हूँ|
सुना है,
तन्हाई का होने लगे एहसास जब ,
बेशुध होने लगे हर साँस जब,
समझलो तुम्हारी नैया बीच मझधार में है,
तेरा रोम रोम हिचकोले खाता, अब प्यार में है।
तु ही बता दे प्रिये,
किस गली किस घाट जाऊँ,
फिरु दर बदर या तेरे पास आऊँ,
बता दे, रहूँ तेरे साए में या फिर देवदास हो जाऊँ।