बात फिर उठी है आगे भी उठाई जाएगी
कहानी, कविता और शेरों में बेटियाँ पढ़ेंगी और बचाई जाएँगी
महफिल में तालियाँ गूजेंगी और वाह की आवाज़ आएगी
गर्व से सीना फूलेगा, साल के लिए बात ठण्डे बस्ते में जाएगी ||
कैसे भेजते हैं माँ बाप बेटियों को पढ़ने-लिखने
बात ये सुनोगे तो जीभ मुंह से बाहर आएगी
हर वक्त डर रहता है क्या पता?
गुड़िया, निर्भया की कहानी दोहराई जाएगी ||
घटना के बाद सब में होड़ लगती है
बहस की बारी चैनल पर, आज किसकी आएगी?
किसकी सत्ता में कितनों की लूटी है आबरू ?
बेशर्मी से आंकड़ों की पर्चियां हाथों में लहराई जाएँगी ||
हाँ मैं यकीन करूंगा कानून पर तब
जब रूह उनकी उनके बदन को लौटाई जाएगी
क्या फायदा ऐसे न्याय का जो न्याय न कर सके
लाचारी कानून की ये ज़माने को सुनाई जाएगी ||
अखबार के हर पन्ने पर वह नुमाइश बनी है
नुमाइश ये कब तक कराई जाएगी?
टीवी पर उत्पाद के नाम पर अश्लीलता कब तक परोसी जाएगी?
माँ के पेट में ही खत्म कर देतें हैं वजूद जिसका
बताओ वो बेटी स्कूल कैसे लाई जाएगी ?
कलम से हम बेटियों के उत्थान की महिमा गाने वाले बता दें
क्या अल्फाज़ों को लिखने भर से बेटियाँ महफूज़ हो जाएँगी?
भूल गए वो कठुआ, अलीगढ़, दिल्ली, शिमला तुम्हारा कसूर नहीं
भूल-भुलक्कड़ इस लोकतंत्र में यादें ऐसे ही तो भुलाई जाएँगी ||