कुछ नए सवेरे हमारे इंतजार में हैं
बहारों के मौसम भी अब कतार में हैं
परिंदों भरो परवाज़ और शिद्दत से
कुछ बेसब्र मंजिलें हमारे इंतज़ार में हैं...
दर्द पुराने छोड़ आस के पंख लगाकर
जाना है उस पार जीत को अंग लगाकर
कुछ ख्वाब अधूरे अब भी मंझधार में हैं
कुछ बेसब्रमंजिलें हमारे इंतज़ार में हैं...
हसरतों ने बोए हैं, अब बीज मंजिलों के
कहकशों में खोए हैं, सब दर्द फासलों के
जिन्दगी के सवाल कई, इम्तिहान में हैं
कुछ बेसब्र मंजिलें हमारे इंतज़ार में हैं...