पड़ोसन सी हुई हैं चालाक चूड़ियाँ
नाम मेहंदी से लिखा छुपाये चूड़ियाँ।
हौले-हौले से मुझको पिन्हाना जरा
है नाज़ुक दिलों सी कंवारी चूड़ियाँ।
टूट के अपनी चाहत की बातें हुईं
है बिस्तर पे बिखरी सुहाग चूड़ियाँ।
अतरंगी है साजन मेरा बावरा
तो मैंने भी पहनी सतरंगी चूड़ियाँ।
बून्द सीने पे अब तक है ठहरी हुई
याद अम्मी को करते हैं सोई चूड़ियाँ।
मिल रही बारिशों से हंस के गले
नईहरी सावन की हरी चूड़ियाँ।