मौसम है सर्द और जरूरतें हैं मेरी कई तो कुछ तो जलाना होगा हाथ सेंकने के लिए
गरीब कहते हैं लोग मुझे आज नसीब न हुई जलावन तो थोड़ा सा खुद को जलाकर ही गर्म रख लूँगा खुद को।
खुद को?
साहित्य मंजरी - sahityamanjari.com