इक माँ ने बेटा दिया देश रक्षा खातिर
नाम था उसका हनुमनथप्पा
सियाचिन की हाड मास कंपा देने वाली
इंसान को बर्फ बना देने वाली ठण्ड में
करता था वो देश सेवा
उस दिन हुआ कुछ ऐसा की
बर्फ की चोटी नीचे आ गिरी
समेट ली सब को अपने अंदर
बर्फ की सफ़ेद चादर हो गई
लाल रंग की, लाली चढाई उसमे
सेना के वीर जवानो के खूनो ने
हनुमनथप्पा भी सो गया
बर्फ की उस सफ़ेद चादर में
छ: दिन तक लड़ता रहा
जिंदगी और मौत से अनवरत
बर्फ की उस सफ़ेद चादर में
जहाँ इंसान क्षण भर रुक ना सकता
हनुमनथप्पा का देश प्रेम भी क्या गजब था
मात देता रहा जिंदगी को वो
लेकिन हनुमनथप्पा को शायद
प्रेम हो गया था भारत माँ की गोद से
सो गया आज वो भारत माँ की गोद में
जिंदगी की जंग तो हार गया हनुमनथप्पा
लेकिन तिरंगे का प्रेम पा गया हनुमनथप्पा
लिपट गया तिरंगे में हनुमनथप्पा