एक आम आदमी की कलम से भारतीय सेना को शत शत नमन

अनंत आकाश की ऊंचाइयों से निडर गिरने वाले 
गगनचुम्बी शिखरों को भी पार कर जाने वाले 
समुद्र की असीमित गहराईयों में 
मूलतः जीवन बिताने वाले 
प्रत्येक वीर को सादर प्रणाम है |


यूँ तो आज़ादी को सत्तर साल पूर्ण हो गए 
पर आज भी हमारी सुरक्षा के लिए 
स्वयं को न्योछावर करने वाले 
ऐ वीर योद्धा तुम्हे नमन है |


कहना तोह बहुत कुछ चाहा 
किन्तु सामर्थ्य न जुटा पाए 
अपने जीवन और निजी संबंधों में इतने व्यस्त थे 
कि ये भूल गए कोई इन सबको अपने हृदय में दबाये 
भारत माँ की सेवा में खुद को लगाए था |


परिवार तो सभी के होते हैं 
लेकिन माता-पिता के चिंतित भाव 
पत्नी की नम आंखें 
बच्चों की मुस्कान और 
भाई-बंधुओं  के प्रेम सौहार्द को समेटे 
निकल पड़े तुम अपने लक्ष्य की ओर
अंतिम श्वास को भी जो भारत भूमि को समर्पित कर गए 
उन वीर शहीदों को हमारा शत शत नमन है |


ऐसे कितने ही सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया 
कि हम लोग आज भी खुली हवा में सांस ले पाएं 
चाहे कितने पंद्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी, भारतीय सेना दिवस हम मना लें
एक सच्चा भारतीय वही है जो उन वीरों के बलिदानों को समझकर 
देश को प्रगति की ऊंचाइयों में ले जा सके|


तभी वीरों का बलिदान सफल हो पाएगा 
अन्यथा शहीदों का ये त्याग इस देश
इस मातृभूमि के लिए 
विफल और व्यर्थ हो जाएगा |


तारीख: 18.08.2017                                    राशि पन्त









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