हौसलों की उड़ान

 

सुरज की स्वर्णिम किरणें जब पड़ती धरा पर,
चहचहाते पक्षी मचाते कलरव,
हौसलों की भरते वो उड़ान है,
देखो जज़्बा उन पंछियों का,
छू लेते वो आसमान है।

देखकर पंछियों को लगता मेरे मन को,
काश कि मै भी उड़ सकता,
पंख फैलाकर नील गगन को मै भी छू सकता।

बस सोच ही रहा था बैठे-बैठे,
कि मेरे मन में ये ख्याल आया..

है पंछियों के जैसे मेरे पंख नहीं तो क्या,
है बुलंद इरादा मेरे भीतर जो छिपा बैठा,
है मुझमे हिम्मत, है हौसला मुझमे,
अपने सपनो को पंख लगाकर मै भी हूँ उड़ सकता।

हौसलों की उड़ान भरकर,
छू लूँगा मै लक्ष्य रूपी आसमान, 
सफलता मेरे कदम चूमेगी,
कदमों में होगा ये सारा जहां॥


तारीख: 23.08.2019                                    मौसम कुमरावत









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