जब हार गए तो बहाना कैसा

जब हार गए तो बहाना कैसा ?
बेमतलब मुझे आज़माना कैसा ?
इन हालातों का इल्ज़ाम किसे दूँ ?
कोई मिले तो सही मुझे मेरे जैसा ||

जब रास्ते ही रूठ गए मंज़िल से |
पाँवों को बेवजह भटकाना कैसा ||
अपने साथ छोड़ गए जब राह में |
तेरा मुझे यूँ छोड़कर जाना कैसा ||

डर-डर कर जब डर ही खत्म हुआ |
अब हर घड़ी मुझे धमकाना कैसा ||
कानों को सुनने की आदत पड़ गई |
तेरा कान में शहनाई बजाना कैसा ||

धड़कन ही जब गैर हो गई |
किसी से दिल लगाना कैसा ||
जख्म है कि भर नहीं सकता |
उस पर मरहम लगाना कैसा ||

खुद के घर से बेघर हो गया |
रेत से अब घर बनाना कैसा ||
वक्त ही जब साथ नहीं "हेमन्त"|
साँसों को यहाँ अटकाना कैसा ||

कपड़ा कुर्ते का उधड़ गया |
रफ्फू उसमें कराना कैसा
तमाशबीन बने थे दोस्त मेरे |
लाश को मेरी हाथ लगाना कैसा
||


तारीख: 20.08.2019                                    हेमन्त भार्गव









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है