मैं कैसे भूल जाऊं

मोहब्बत के उन रेशमी एहसासों को मैं कैसे भूल जाऊं,
कमसीन कशमकश उन हवाओं को मैं कैसे भूल जाऊं,
जमाना क्या समझे ये फिक्र नहीँ मुझे,
वादों की उन वफाओं को मैं कैसे भूल जाऊं !

इश्क की उन साँसो को मैं कैसे भूल जाऊं,
हँसी की उन प्यासों को मैं कैसे भूल जाऊं,
थी आरजू मेरी तुम, तुम ही हो,
तमन्ना की आगोशों को मै कैसे भूल जाऊं!

दर्द के उस नाम को मैं कैसे भूल जाऊं,
यादों की उस शाम को मैं कैसे भूल जाऊं,
मयखाने छोड गया तेरी खातिर मैं,
रहे प्यासे उन जाम को मैं कैसे भूल जाऊं!

चाहत की तेरी उन बातों को मैं कैसे भूल जाऊं,
अश्क बहाती उन रातों को मैं कैसे भूल जाऊं,
था अकेला उस वक्त भी मैं,
मिलन के रिस्ते-नातो को मैं कैसे भूल जाऊं !

अरमानो के उन बारिशों को मैं कैसे भूल जाऊं,
सावन की उन ख्वाहिशों को मैं कैसे भूल जाऊं,
खाली पडे उन झुलो की कसम,
खुद से ही खुद को मैं कैसे भूल जाऊं !!


तारीख: 09.06.2017                                    पीयूष झा









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