मैं तुम्हारे लिए खास हूँ

इस कविता में कवियित्री ने हृदय-प्राण को ईश्वर अर्थात् अपनी आत्मा के प्रतीक के रूप में लिया है ।कवियित्री चाहती है कि वह अपने इष्ट को पूर्णतः आत्मसात कर ले,और वह अपने इष्ट को कहती है कि चाहे तुमसे मिलने को सृष्टि का हर कण व्याकुल हो ,चाहे तुम्हें मीरा ने चाहा हो, या सीता ने पूजा हो पर मैं इस बात से भली-भांति परिचित हूँ कि मैं तुम्हारे लिए खास हूँ, कि मैं तुम्हारी प्रिय हूँ तभी तो तुम मेरे निवेदन मात्र से आ गए थे मुझसे मिलने, रक्षासूत्र बधवाने और वो चन्दन-जड़ित रेशम का धागा तुम्हारी कलाई पर बांधते ही मैं तुमसे कही गहरी जुड़ गयी हूँ । इसी भाव को प्रदर्शित करती है यह कविता " मैं तुम्हारे लिए खास हूँ"।


चाहे तुम से मिलने की
हर बंद गली को
हर अंधे कुएँ को
हर पत्थर की ढली को 
उम्मीद हो,अपेक्षा हो

चाहे तुम से मिलना चाहती हो
वो हर नदी ;जो कल-कल बहती है
सीमाओं को तोड़ कर थिरकती है
चाहे तुम से मिलना चाहता हो
वो राही ; जिसके अविचल थके कदमों को
तुम्हारी मंजिल की तलाश हो

चाहे पहाड़ों से बहता झरना हो 
या बादलों से निवृत्त होती बूंदे 
स्वतंत्र निखिल अम्बर हो 
या अनंत, अविनाशी धरा
सबके सब तुम में ही सिमटना चाहते है
तुमसे ही मिलना चाहते है

चाहे तुम्हें मीरा ने चाहा हो
या सीता ने पूजा हो
या सूर ने अपने काव्य में रचा हो
पर मैं जानती हूँ
मेरे हृदय के प्राण
बुद्धि के विवेक 
मन के संकल्प
कि तुम ही सर्वव्यापी हो
कि तुम्ही जड़ और तुम्ही जीवन हो
कि तुम्ही सृष्टि के कण-कण में प्रतिष्ठित हो

पर मैं ये भी जानती हूँ - हृदय-प्राण
कि मैं तुम्हारे लिए खास हूँ
कि मैं तुम्हारी प्रिय हूँ
मैं तुमसे कह देना चाहती हूँ
कि मेरा मन क्षण-मात्र के लिए भी
ना विचलित हुआ था और ना उद्विग्न
और  तुम मेरे निवेदन मात्र से
आ गए हो,मेरे निकट
 मेरा विश्वास ,मेरा तर्क
और मेरी वाणी बन कर 
क्योंकि मैं जानती हूँ- हृदय-प्राण
कि मैं तुम्हारे लिए खास हूँ

मेरे द्वारा बांधा
वो चन्दन-जड़ित रेशम का धागा 
जो तुम्हारी दिगंतव्यापी कलाई की
सदैव शोभा बढ़ाता रहा
और जिसे देख
मेरा हृदय विशालकाय 
मेरा मस्तक चौड़ा
और मेरे नैत्र गहरे नीले
और मेरी गति धीमी हो जाती है 
उसके बाद से तो
मैं और तुम, तुम और मैं
गहरे जुड़ गए थे
क्योंकि मैं जानती हूँ- हृदय-प्राण
कि मैं तुम्हारे लिए खास हूँ
कि मैं तुम्हारी प्रिय हूँ


तारीख: 21.10.2017                                    आरती









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