मेरी कविताएँ

मेरी कविताएँ 
नहीं होना चाहती शामिल 
निरर्थक आपाधापी में 
शेयर,लाइक,कमेंट्स की 
झूठी मक्कारी में 
जहाँ 
भाव,अर्थ 
सब नदारद हैं 
किसी 
शीर्ष स्थान की 
तैयारी में 

मेरी कविताऍं 
बात करना चाहती हैं 
उन सभी मुद्दों पर 
जिनको दुत्कारा गया है 
जिनको रास्ते से धकेल कर हटाया गया है 
जिनको उपेक्षित किया गया है 
मात्र इस बात के लिए कि 
वो इस समाज में "फिट"नहीं बैठते 
जो गरीबी,भूखमरी,लाचारी और बेरोज़गारी देखकर 
नाक भौंह नहीं सिकोरते 

जिन्हें 
दर्द पता है 
दलित,किन्नर,अछूत,विकलांगों का 
जिन्हें 
मालूम है 
औरतों,बच्चों,बूढ़ों की असमर्थता 
और
जिन्हे 
घिन्न आती है 
राजनितिक विकल्पहीनता 
पारिस्थितिक मौन 
और 
सामाजिक नपुंसकता पर 

और 
जो सदैव 
तैयार रहती हैं 
विपक्ष का विद्वेष झेलने को 
प्रकाशकों द्वारा अस्वीकृत होने को 
और 
रोज़ इसी तरह की 
एक अनंत यात्रा पर निकलने को


तारीख: 07.09.2019                                    सलिल सरोज









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है