वो इक नन्ही सी जान ने
जनी है जान नन्ही सी।।
परेशां खुद से दोनों है
गुजारा हो तो कैसे हो।।
कि बिन बुलाये आई है
मुसीबत चारों कोनों से।।
जाने क्या क्या गुमाया है
जीवन ने जीवन पाया है।।
अच्छी उमर से गर होती
खुशियाँ हद बेहतर होती।।
था माँ का पल्लू हाथों में
कुदरत ने माँ बनाया है।।
वो इक नन्ही सी जान ने
जनी है जान नन्ही सी।।