प्रेम प्रतीक्षा

 

दिल है धङकन से रुठामोहे आघातों की पीङ सूहावे

कराल तरंगें उठ उठ गिरतीकरने निश्चेष्ट मेरी तितिक्षा

 

छंदबद्ध मेरे प्रातःकाल कीछिनी प्रशांति तेरी ताल ने 

तंत्र मंत्र बेकार भये मोरेतूं ही दे तोहे भूलन की दीक्षा

 

स्वर्ण रँग हुआ बालू जैसेसूखा सूखा इत-उत भटकत

भरदे मोको इस सावन मेंकर कर हारी शून्य समीक्षा

 

यूं तङपे है जियरा पल पलपंख कटी हो बैया विह्वल 

कब उतरोगे मोरे अंगनामांग रही तोरे दरस की भिक्षा

 

झांक जरा मोरे रक्तनयन तूंमैं हुई बावरी दिग्भ्रम घूंमूं

तोहे ललकारुं प्रेमसमर मेंदे मधुयामिनी छोङ परिक्षा

 

कौन दिशा तो बरसो बदराआज मिटादो सारी भदरा

हुई है हमरि नींद तिरोहित,  धो दो श्रापित प्रेम प्रतीक्षा  


तारीख: 22.07.2019                                    उत्तम दिनोदिया









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