रोटी

कभी जोड़ कर
कभी तोड़ कर
खूब पकाते रोटी
कभी बेल कर
कभी खेल कर
खूब घुमाते रोटी
बिन आटे के
बिन बेलन के
रोज़ चलाते रोटी
कभी सेक कर
कभी देख कर
रोज़ दिखाते रोटी
कभी बोल कर
कभी खोल कर
खूब कमाते रोटी
कभी प्यार से
कभी आस से
रोज़ नचाते रोटी
किसी गरीब की
किसी शरीफ की
रोज़ दबाते रोटी


तारीख: 13.09.2019                                    मनोज शर्मा









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