समझौता हो

मेरे छाते में आकर बैठो लगे कोई हम जैसा हो। ,
आँखों में आँखें डाल सको तो लगे कोई समझौता हो। 

थमे उंगलियां मेरे हाथों में लगे मुझे कोई बात हुई। ,
मेरी  धड़कन को सुन पाओ तो लगे कभी कोई रात हुई। 

कभी वाहों में आकर मेरे पागलपन से डर जाओ। ,
ठोंक ठोक कर छाती मेरी मेरे प्यार पर इतराओ। 

 बनू वही जो हर दम तेरे दिल के कोने में रहता हो। ,
आँखों में मुझको झांक सको तो लगे कोई समझौता हो। 


तारीख: 05.06.2017                                    प्रेम कुमार









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