वो जज्बाती पन्नें

महसूस किया जब प्यार है मुझको
न सोंचा न समझा बस बोल दिया मैंने
दिल में भरे मासूम जज्बाती पन्नों को
एक-एक करके उनके लिए खोल दिया मैंने 


एक पल भी परवाह न की इस बात की
कि क्या कद्र होगी उनको भी मेरे जज्बात की
दिल में इतना प्यार भरा था उनके लिए 
कि अब तो सब्र ने भी मुँह मोड़ लिया हमसे
महसूस किया जब प्यार है मुझको
न सोंचा न समझा बस बोल दिया मैंने


दिल रोया बहुत जब मिली हार मुझको
लेकिन फिर भी खुश थी मैं ये अहसास लेकर
प्यार सच्चा है मेरा क्योंकि वेबजह है
खुशकिस्मत है वो जिनको प्यार ऐसा मिला है
न माँगा न छीना बस प्यार उनको किया है
ये मासूम सा दिल उनको दिया है
महसूस किया जब प्यार है मुझको
न सोंचा न समझा बस बोल दिया मैंने


अगर बस में होता तो रोज कहती मैं उनसे
प्यार करते हैं तुमसे प्यार करते है तुमसे
लेकिन ये डर भी सताता है मुझको
कहीं खो दूँ न उनको रोज-रोज तंग करके
बस वो खुश रहें और क्या चाहिए है मुझको
हाँ रब दे वो सब कुछ जो चाहिए है उनको।


तारीख: 12.08.2017                                    स्तुति पुरवार









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