तुम एक प्यारी, नादान,मासूम सी बच्ची
बेखबर दुनियाँ से तुम एक छोटी सी कली थी
क्या पता था इस कली को भी वो खिलने न देंगे
जानवर हैं वो वहशी नोंच लेंगे वो इसको
दर्द कितना हुआ था ये तुमने है जाना
न जाने कितनें पल मरी थी तुम सांसे रुकनें से पहले
उन दरिंदों को मौत देकर भी तुम हमें न मिलोगी
कौन सजा देगा उनको ये जहांन उन्ही से भरा है
न जानें कितनी आसिफा बेमौत मरती हैं हर रोज
सोते हैं वो सुकून से क्योंकि सेज उनकी है बनती
माफ करना हमको तुम हम कुछ भी न कर पाये
दर्द ऐसा मिला है कि शब्द बयां भी न कर पाये।