आसिफा

  तुम एक प्यारी, नादान,मासूम सी बच्ची
  बेखबर दुनियाँ से तुम एक छोटी सी कली थी
  क्या पता था इस कली को भी वो खिलने न देंगे
  जानवर हैं वो वहशी नोंच लेंगे वो इसको


  दर्द कितना हुआ था ये तुमने है जाना
  न जाने कितनें पल मरी थी तुम सांसे रुकनें से पहले
  उन दरिंदों को मौत देकर भी तुम हमें न मिलोगी
  कौन सजा देगा उनको ये जहांन उन्ही से भरा है


  न जानें कितनी आसिफा बेमौत मरती हैं हर रोज
  सोते हैं वो सुकून से क्योंकि सेज उनकी है बनती
  माफ करना हमको तुम हम कुछ भी न कर पाये
  दर्द ऐसा मिला है कि शब्द बयां भी न कर पाये।


तारीख: 13.04.2018                                    स्तुति पुरवार









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