ऐ संगीत,
डूबो दे तूं मुझे आज,
सूर ताल की गहराईयों में
ले चल गोद में बिठा के,
स्वरलहरियों की नौका में
तरंगों के चप्पुओं से
गीतों की कलकल के दरमियान
कर दे पर्वतों को बौना
मुझसे छिन ले मेरा बड़प्पन
और रच दे
कुछ स्वर्गिक कुछ दैविक
मेरे बचपन सा मासूम और खिलंदङ
ऐ संगीत,
पार लगा दे मुझे आज…….
ऐ संगीत,
तोड़ कर सुलझा दे,
हर चूभते अहसास कि डोर
मेरे पोरों को कुछ इस कदर छू,
कि, अन्तर्मन तक हो उठे तरंगित
दे पुकार कुछ इस तरह
कि, बेदिली को भी पङे रुक कर सूनना
कर दे फीकी, शहद की भी मिठास
और मुझसे चूरा के, मेरी ही रंगोली
दे उपहार,
कुछ सम्पूर्ण कुछ परिपूर्ण
मेरी मां कि ममता सा सच्चा और बेलाग
ऐ संगीत,
जोड़ दे मुझे आज…….
ऐ संगीत,
बांध दे तूं मुझे आज,
स्वयं मेरे समर्पण पथ के साथ
दे नाजुक सा सहारा,
मेरी बहकती सांसों की प्रत्यंचा को
मेरी निशा से करले पाणिग्रहण,
तूं आज दीपक बन कर
और मुझे मिटा के,
मेरी ही मिट्टी से
कर निर्माण,
कुछ अगढ कुछ नूतन
मेरे स्वयं कि तलाश सा अपना और पराया
ऐ संगीत,
मुक्त कर दे मुझे आज…….