चंद सवाल

अपने जीवनदाता का,
तू ही बड़ा कातिल है |
अरे आदमजाद, तू सोंचकर बता,
कि, क्या तू किसी के विश्वास के काबिल है?

ज्ञान अर्जित किया, पर बांटा नहीं ,
तू तो पढ़ – लिख कर भी जाहिल है |
ऐ इंसान, तू मुझे लिखकर दे,
कि, क्या तू भी बड़ा फ़ाज़िल है?

आने वालों को दुत्कारा, किसी से मीठी बातें की नहीं ,
ये जहां तो हर तरह के जीवों का साहिल है |
हे मनुपुत्र, तू कसम खा के कह,
कि, क्या तुझे समर्पित भी, कोई हासिल है?


तारीख: 15.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है