अजी यह लोकतंत्र है

बैठे क्या हो सरल सुधा से,आओ तुम भी तो कुछ बोलो
बहुत गुटों में बटा देश यह, चुनो किसी को और विष घोलो
पटरी उखाड़ो जीपें जलाओ, डेमोक्रेसी का आयाम ही क्या है
पत्थर फेकने से बढ़कर फिर,जग में दूजा व्यायाम ही क्या है
सुबह-शाम ये जपते रहो, सुखी रहने का सरल मंत्र है
अजी यह लोकतंत्र है

सिस्टम बदलो ताम झाम हो, जैसा हो वैसा चलने दो
लोकतंत्र के पानी में, hate -speech को पलने दो
कभी 'For a change' समाज का सोया सा शैतान जगा दो
गर नही सूझे कुछ भी तो फिल्मों पर ही Ban लगा दो
अभिव्यक्ति का अधिकार पीसने का सस्ता यंत्र है
अजी यह लोकतंत्र है

गुब्बारे सा tolerance अपना, सूई चुभाते ही फट जाता
कावेरी सा ethical value, थोड़ी धूप level घट जाता
कभी क्षेत्र, जाति, धर्मों पर नफरत की तुम आग लगा दो
5 वर्ष में एक बार बस जनता सम्मुख तुम शीष झुका दो 
अपनी गलती कुछ नही, सब विपक्ष का षड्यंत्र है 
अजी यह लोकतंत्र है

 

 


तारीख: 19.06.2017                                    कुणाल









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है