एक चीख

एक चीख, 
और फिर सन्नाटा,
एक चीख, 
और फिर कोहराम, 

कुछ चिर निंद्रा मे विलीन हुए, 
कुछ शोर और चीत्कार मे कुचले गए,

अरे हटो.
जरा इन लाशों को हटाओ, 
माँ राह देखती होगी.....
अरे हटो जरा मुझे जाने दो,
बाबा दरवाजे पर खड़े होंगे, 

अरे हटो भैया उपहार लाया है,
मेरे सी. ए. बनने की खुशी मे  सारा मुहल्ला सजाया है, 

अरे हटो ना...
ये कहा मुझे खींचे ले जा रहे हो,

ये कहाँ लाशों के बीच मुझे सुला रहे हो,
अरे अभी मेरी हसरते बाकि है,
अरे अभी मेरी तम्मन्ना अधूरी है
अरे हटो अभी मुझे जाना है,

माँ...
  माँ.....
आओ  ना डर लगता  है,
इन लाशों के बीच इस अंधेरे  से...

बाबा बाबा आओ ना,
डर लगता है ,
इन अजनबी लोगो के बीच दम घुटता है..

अरे हटो ,
मुझे जाने दो,
माँ की आगोश मे समाने दो,

अरे हटो मुझे जाने दो


तारीख: 15.10.2017                                    दीपा कैलाश









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