सूखा हलक,
बिखरे अलक ।
मन खोजे तेरी झलक,
निगाहें जाएँ जहाँ तलक ।।
तेरी प्रतीक्षा में,
राहें ताकूँ अपलक ।
जब आए याद तेरी,
अश्रु गिरें छलक-छलक ।।
गीले तकिए के नीचे से,
निकालकर तेरी तस्वीर ।
लगा लूँ सीने से,
भूल जाऊँ सब पीर ।।
पर चिंता से होता व्याकुल मन,
जब-जब सुनती ये समाचार ।
मातृभूमि की सेवा में,
गए जवान कुछ स्वर्ग सिधार ।।
पर तेरे शब्दों की सदा,
सदा हिम्मत देकर जाती है ।
मातृभूमि की सेवा की बारी,
विरलों की ही आती है।।
हैं धन्य वो पुत्र-पुत्रियाँ जिन्होंने,
माता को सर्वस्व दान दिया ।
देशसेवा का मार्ग बताकर,
जग में अपना मान किया ।।