फिर से आया नया साल

फिर से आया नया साल
नई उमंगों का सिलसिला चल पड़ा।
बिखरे से ख्वाब जो थे बीते हुए साल के
उनको समेटता नई आशा की ओर निकल पड़ा।।
किसी ने किया पतले होने का प्रण

तो शुरू कर दिया जिम।
किसी ने बनाया स्वस्थ होने का मन
तो छोड़ दिया मीठा और अन्न।।
किसी ने किया नए रिश्तों को सलाम
तो कोई सब रिश्तों को छोड़ चला ।
साथ जुड़ने और छूटने का ये क्रम
फिर से बढ़ चला।।

किसी की नई कक्षा, तो किसी की नई नौकरी
किसी की नई शादी, तो कहीं नवजीवन की टोकरी।
सफलताओं की इस श्रंखला में
किसी का यतन विफल हो पड़ा।
आशाओं और सपनों के सागर में
वो फिर भी गोता लगाने निकल पड़ा।
फिर से आया नया साल
नई उमंगों का सिलसिला चल पड़ा।।
 


तारीख: 28.01.2018                                    राशि पन्त









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