कौन तुझे समझे गा?
तू खुद को ही पहचान तो ज़रा
तेरी अंदर की आग से कौन जलेगा?
तू खुद ही अंगारों से लड़ तो ज़रा।
एक टक-सा स्थीर होकर
अपने मकसद को पहचान तो ज़रा।
जिसमें तुने जान बसाई उसे खो कर
अपने आप को संभाल तो ज़रा।
क्यों लड़ रहा हैं दुनिया से तू?
खुद से खुद की जंग में जीत तो ज़रा
समंदर की लहरें जैसी जो मचल रही हैं
उन ख़यालो को शांत तो करके दिखा तो ज़रा
ख़्वाबों ने तेरे उड़ान तो भरी ही नहीं अब तक
तू अपने सपने बुंन तो ज़रा।
तेरे लकीर में छुपे सच्च को
खुल कर अपना तो ले ज़रा।
तुझे क्या पता उस खुदा का इरादा
आँख बांध करके विश्वास रख ले ज़रा।
उम्मीद और हौसला तू खुद है खुद का
उससे मज़बूत कर के दिखा तो ज़रा।
कौन तुझे समझे गा मेरी जान
तू खुद ही खुद को पहचान तो ज़रा….
तू खुद ही खुद को पहचान तो ज़रा।।।