कितने तड़पे

कितने तड़पे कितने तरसे
कितनी तुमसे प्रीत लगायी,
जाने कितनी बार हमारी
हँसते हँसते आँखे हैं भर आयी।

कितने दिन, कितनी राते
पल पल गिन हमने बितायी,
कितने कितने बार मैं
भीड़ में तन्हा हो आयी।

कितने तन्हा, कितने अकेले
कितनी तुम्हारी यादें आयी,
कितनी बार देखी है हमने
अपने संग तेरी परछाई।

कितना प्यार कितनी मोहब्बत,
कितनी तुमसे है रुसवाई,
कितना चाहा तुम्हे हमने
पर तुम्हे हमारी याद न आयी।

कितनी मिन्नत कितनी दुयाएं,
रब से कितनी की लड़ाई,
जाने क्या क्या हार गयी मै,
फिर भी तुम्हे क्यूँ जीत न पायी...
फिर भी तुम्हे क्यूँ जीत न पायी।
                        


तारीख: 21.06.2017                                    निधि









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