मध्यरात्रिचांद-1
मेरी बारी के खत्म होने पर
मध्यरात्रि के चांद ने
मुझसे कहा,
मित्र, तुम कल आना
मेरे ज़ख्म बेहतर दिखेंगे
कल पूर्णिमा है।
मध्यरात्रिचांद-2
कल न मिलने पर
मध्यरात्रि के चांद ने
कहा मुझसे,
मित्र, तुम आए नही, क्यूँ ?
"उनकी आँखों मे डूबा रहा"
झिझकते हुए, कहा मैंने
चाँद मुस्कुराया, बोला, नये ज़ख्म !
पूरे हों, तो कहना, मिलेंगे
दो हफ्ते में पूर्णिमा है।
मध्यरात्रिचांद-3
आज पूर्णिमा है,
मेरे मित्र
मध्यरात्रि के चांद ने
पूरी कर ली है परिक्रमा
पृथ्वी की
और मैंने भी
प्रेयसी की
किन्तु दोनों
अतृप्त,
मैं मुस्कुरा रहा हूँ ,
हम दोनों मुस्कुरा रहे हैं
अभी शेष हैं पूर्णिमा के कई चक्र।